दोस्तों देश की रक्षा की पूरी जिम्मेदारी भारतीय सेना पर होती है. ह, लोग जहाँ अपने घर में आराम से चैन की नींद सो रहे होते है वहीँ वे लोग बोडर पर जाकर पहरा देते है. धुप, छाँव, बारिश या फिर बर्फबारी के मौसम में ये लोग वहीँ खड़े रहकर हमारी रक्षा करते है.
कई बार मौसम के ज्यादा खराब होने की वजह से सैनिको को कई मुसीबतों का सामना भी करना पड़ता है. ऐसे ही मौसम में एक जवान फिसल गये थे जिनका शव 16 साल बाद मिला है. साल 2005 में उतराखंड के गंगोत्री हिमालय की सबसे ऊँची चोटी पर तिरंगा फहराने के लिए सैनिको का एक दल गया था.
जिसमे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के रहने वाले एक फौजी भी शामिल थे. जांबाज सिपाहियों ने गंगोत्री की सबसे ऊँची चोटी पर तिरंगा फहरा दिया था लेकिन वापस आते समय उनके साथ हादसा हुआ और वे सब सैंकड़ो फीट गहरी खाई में गिर पड़े. अन्य सभी सिपाहियों का शरीर मिल गया था लेकिन गाजियाबाद वाले सिपाही का पार्थिव शरीर नही मिल पाया.
सिपाही के पिता को जब इस बात का पता चला कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नही रहा तो उन्होंने बेटे को आखिरी बार देखने की इच्छा जताई. वः अपने बेटे के अंतिम दर्शन करना चाहते थे लेकिन उनके बेटे का शरीर तो मिला ही नही था. किस्मत ने ऐसा खेल खेला जो सिपाही 16 साल पहले गिरे थे उनका शरीर आज बर्फ में ढका हुआ मिला है.
परन्तु बेटे के शव को उनके माता पिता नही देख सकते है क्योंकि कुछ साल पहले ही दोनों की मौत हो गयी है. सिपाही के 16 साल बाद मिलने के बाद एक बार फिर उनके परिवार के जख्म ताजा हो गये है. फौजी के शरीर पर सालो बाद भी उनकी ड्रेस पर लगी नेम प्लेट सही सलामत है.
परिवार ने नेम प्लेट देखकर शरीर की पुष्टि करते हुए बताया कि साल 2005 में पैर फिसलने से 4 जवान 100 फीट की गहरी खाई में गिर गये थे जिसके बाद अमरीश त्यागी का पार्थिव शरीर नही मिला था. 16 साल बाद सिपाही का शव सामने देखकर एक बार फिर से परिवार वालो की आँखे नम हो गयी.
सिपाहियों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए गंगोत्री हिमालय की सबसे ऊँची चोटी सतोपंथ पर तिरंगा फहराया था जिसके बाद बाद वे वापिस लौटने लगे तो रास्ते में एक हादसा हो गया जिसमे सभी गहरी खाई में गिर गये. जिसके बाद से अमरीश त्यागी का शरीर नही मिल रहा था. जोकि हाल ही में २५ सैनिको को मिला है जोकि सतोपंथ चोटी पर तिरंगा फहराने जा रहे थे. वापसी में बर्फ पिघलने पर उन्हें अमरीश का शव मिला जिसे उन्होंने परिवार वालो को सौंप दिया.