बहुत से लोग कहते हैं कि russia ने जब भी भारत पर संकट के बदल छाए हे तब रूस ने हमारी बहुत मदद करी है। जो बात सही भी है, लेकिन ऐसा नहीं है कि सिर्फ russia ही हमारी मदद करें। कोई भी संबंध हो। वह म्यूच्यूअल तौर पर ही चलते हैं।
जितनी russia ने मदद हमारी कई है, उतनी ही हमने भी russia की भी मदद करी है। उदाहरण के तौर पर बहुत सारे ऐसे देश हैं जिन्हें आज तक भारत ने मान्यता नहीं दी। उनके साथ व्यापार नहीं किया। उनके साथ हमने कोई डिप्लोमेटिक रिलेशन नहीं रखा। क्यों क्योंकि हमें रसिया ने मना किया था। हमें रशिया के कहने पर बहुत सारे देशों को अपने से दूर रखा जिससे कि हमारी डिप्लोमेटिक पावर भी कम हुई। इसके अलावा हम उन देशों के साथ व्यापार करके जो पैसा कमा सकते थे। हम उस से भी वंचित रहे, लेकिन आपको याद होगा कि अब से मुश्किल से 2 महीना पहले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर जी पहुंचे थे जॉर्जिया। जॉर्जिया रूस का एक पड़ोसी देश है और रूस का कट्टर विरोधी माना जाता है। रूस और जॉर्जिया में कई बार लड़ाई हुई है और भारत ने दशकों बाद अपना कोई विदेश मंत्री जॉर्जिया भेजा था और बताया जाता है कि भारत आने वाले कुछ दिनों में जॉर्जिया में अपनी पहली बार एक एंबेसी भी खोलेगा।
इतना ही नहीं भारत ने रूस के एक और कट्टर विरोधी यूक्रेन उसके साथ भी बहुत ही अच्छे संबंध बनाने शुरू कर दिए। हाल ही में हमने कई सारे हथियार के सोदे भी यूक्रेन को दिए हैं। रूस की बजाय और ऐसा करने के पीछे एक बहुत ही ठोस कारण भी था। दरअसल अब से 4 महीने पहले रूस के विदेश मंत्री सरगेई लावरोव पहुंचे थे पाकिस्तान और पाकिस्तान में खड़े होकर उन्होंने बयान दिया था कि अब रूस तैयार है पूरी तरह से पाकिस्तान को स्पेशल मिलिट्री हथियार देने के लिए यह बयान भारत को बेहद नागवार गुजरा भारत इससे बहुत नाखुश हुआ था और इसी के परिणाम स्वरुप भारत ने रूस को सबक सिखाने के लिए जो रूस के कट्टर विरोधी देश है। वहां पर अपनी विदेश मंत्री को भेजा। उनके साथ अच्छे संबंध बनाने शुरू कर दिए थे। ऐसे में भारत ने रणनीति अपनाई, क्योंकि अगर कल को रूस कहता है कि चलिए अब हम पाकिस्तान को हथियार देते हैं तो भारत रूस को रोक सकता है कैसे। भारतीय कहेगा कि अगर आप ने पाकिस्तान को हथियार दिए तो हम भी जो आपके दुश्मन देश हैं, उन्हें हथियार प्रोवाइड कर सकते हैं। ऐसे में रूस दबाव में आएगा और पाकिस्तान को एडवांस हथियार नहीं दे पाएगा।
खैर जब ये सारी चीजें हो रही हैं, इसी बीच एक देश है जो अब भारत से मदद चाहता है और जो रूस का कट्टर विरोधी है उस देश का नाम है कोसोवो । हालांकि भारत अभी कोसोवो को एक देश की मान्यता नहीं देता। कारण है रूस। दरअसल ये कोसोवो है ना यह सरबिया का ही एक हिस्सा है । सर्बिआ और रूस दोनों भाई भाई भी हे कारण यह है कि जो रूस और सरबिया है, यह दोनों देशों के लोगों की एथलीसिटी सेम है। दोनों देशों के लोगों को स्लाविक लोग कहा जाता है। अब हुआ क्या कि जो कोसोवो है यहां पर जाकर जो लोग रहते हैं वह 95 फ़ीसदी मुस्लिम है और उस सरबिया है। वहां पर रहने वाले लोग ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन हे ।
अब हुआ क्या कि कुछ साल पहले कोसोवो के लोगों ने अपनी आजादी की मांग उठाई कि हम आजाद होंगे। हमें सरिया में नहीं रहना क्योंकि सरबिया यहां पर प्रो russia था तो कोसोवो का साथ देने के लिए आ गए अमेरिका और पश्चिमी देश। इन्होने मान्यता दी कोसोवो को एक अलग देश की अलग ही पहचान हे आपको एक इंट्रस्टिंग चीज बता दूं कि जो कोसोवो हे वहां भले ही 95 फ़ीसदी मुस्लिम लोग रहते हो जहाँ यह एक मुस्लिम देश है, लेकिन यह दुनिया का एकमात्र मुस्लिम देश है जिसने इजरायल के कहने पर अपनी जो एंबेसी है ईजराइल कि वह बनाई थी यरूशलम में। तो आप समज सकते हे की यह एक प्रो अमेरिका और प्रो इजराइल देश है हालाँकि भारत ने आज तक भी सिर्फ और सिर्फ और एशिया के कहने पर इस देश को मान्यता नहीं दी। आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस और इजरायल इन सभी देशों ने भारत से बार-बार रिक्वेस्ट करि कि आप कोसोvo को एक देश की मान्यता दे दीजिये ।
लेकिन भारत ने सिर्फ और सिर्फ रूस की दोस्ती के लिए यह मान्यता प्रोवाइड नहीं करी। कोसोवो को तो आप समझ सकते हैं कि भारत कितना ज्यादा मानता था russia को लेकिन जब रसिया भारत को आंखें दिखा रहा है। तो ऐसे में कोसोवो को भी लग रहा है कि यह एक बेहतर मौका हे और इसीलिए कोसोवो की प्रेसिडेंट ने भारत को यहां पर रिक्वेस्ट करी है कि आप हमारे देश को एक देश की मान्यता दे दीजिए।
हमारे साथ डिप्लोमेटिक सम्बन्ध बनाइये। हम आपके साथ अच्छे व्यापारिक रिश्ते भी बनाएंगे। बताया जा रहा है कि आने वाले समय में जो भारत के बहुत ही क्लोज फ्रेंड हैं आज की तारीख में जैसे कि इसराइल फ्रांस ये मिलकर भारत पर प्रेशर बना सकते हैं। भारत को रिक्वेस्ट कर सकते हैं कि प्लीज आप कोसोवो को यहां पर मान्यता दीजिए और भारत को अब गंभीरता से सोचना भी पड़ेगा। हालांकि अब आप मुझे कमेंट करके जरूर बताएं। की क्या भारत को कोसोवो को मान्यता देनी चाइये या नहीं ? और कोई भी सवाल हो तो कमेंट में जरूर पूछियेगा और हमारी पोस्ट को लाइक शेयर भी कीजिये धन्यवाद जय हिन्द जय भारत।