पाकिस्तान भले ही कितने नखरे कर ले लेकिन आखिरकार उसे भारत के सामने झुकना ही पड़ा. पाकिस्तान हमेशा चालाकियां करने में आगे रहा है और इस बार भी उसने भारत के सामने झुकने से पहले एक देश के साथ एक खेल खेलना शुरू कर दिया.
तालिबान के अधिकार में आने के बाद अफगानिस्तान की क्या हालत हो गयी है ये सब तो आपके सामने है. भारत ने अफगानिस्तान को 50 हजार टन गेंहू और कुछ मेडसिन की मदद करने में आगे आया था. जबकि ये मदद पिछले 2 महीने से अफगानिस्तान नहीं पहुंची.
पाकिस्तान की वजह से भारत द्वारा की जा रही मदद अफगानिस्तान नही पहुँच पाई क्योंकि ये सब सामान अफगानिस्तान तक पहुँचाने के लिए भारत ने पाकिस्तान से लैंड रूट मांगा था. ये मांग भारत ने 7 अक्तूबर के दिन की थी
जबकि इसका जवाब पाकिस्तान ने 47 दिन के बाद दिया. जिसमे पाकिस्तान ने भारत को अफगानिस्तान तक मदद पहुँचाने की अनुमति दे दी थी. जबकि पाक ने इस मदद के बदले कई तरह की शर्त भारत के सामने रख दी थी.
भारत से जाने वाला सारा गेंहू और मेडिकल सप्लाई भारत के ट्रको की बजाय पाकिस्तान के ट्रकों में भरकर अफगानिस्तान तक जाएगी. इसके लिए भारत को टैक्स भी भरना होगा. पाकिस्तान की शर्त के मुताबिक अट्टारी बॉर्डर तक भारत के ट्रक सामान् लेकर जाए और वहां से फिर गेंहू और मेडिकल सप्लाई भारतीय ट्रक से हटाकर पाकिस्तानी ट्रको में भर दिया जायेगा.,
और फिर पाकिस्तान ये सब अफगानिस्तान को खुद के ट्रक में पहुँचाना चाहता था. भारत ने पाकिस्तान की शर्त मानने से इनकार कर दिया क्योंकि भारत का कहना है कि वह खुद अपनी जिम्मेदारी पर अफगानिस्तान की मदद करे इसके बीच में पाकिस्तान की कोई दखलंदाजी नही होनी चाहिए.
भारत तो सिर्फ पाकिस्तान से रास्ता मांग रहा था. खबरों की माने तो पाकिस्तान ने भारत को रास्ता देने का फैसला करते हुए एक नई शर्त रखी है. नई शर्त के मुताबिक भारत जो गेंहू और मेडिकल सप्लाई अफगानिस्तान को देना चाहता है वह सीधा अफगानिस्तान के ट्रको में भरकर जाएँ ये तो भारत की गाडियों में जाए और न ही पाकिस्तानी गाडियों में ले जायें.
भारत ने अबतक इस बात पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नही दी है. लेकिन कहा जा रहा है कि भारत इस शर्त को मान लेगा और इसके बाद भारत के ट्रको द्वारा सामान अट्टारी बोर्डर पर ले जाकर वहां पाकिस्तान के रास्ते आये अफगानिस्तान ट्रको में भर दिया जायेगा.