दोस्तों कहा जाता है कि जितने अन के दाने खाना किसी इंसान के नसीब में लिखा है जब तक वह दाने पूरे नहीं होते तब तक उस इंसान को कोई नहीं मार सकता शायद यही वजह है कि कुछ इंसान ऐसे हादसों से भी बच निकलते हैं जिनसे बचना नामुमकिन होता है ! वैसे तो हवाई जहाज के सफर को सबसे सुरक्षित , सफल माना जाता है क्योंकि इतिहास में सबसे कम हादसे वाले वाहन के रूप में हवाई जहाज का नाम सबसे ऊपर आता है
किंतु यह भी सच है कि यदि हवाई जहाज के सफर में बदकिस्मती से कोई हादसा हो जाता है तो मुसाफिरों के जिंदा बचने से की संभावना भी कतई नहीं रहती , लेकिन दोस्तों अपवाद हर क्षेत्र में होते हैं कई इंसान अपने अच्छे नसीब और कड़ी मेहनत से हवाई जहाज के हादसे से भी बच निकलता है !
आप ऐसी हिम्मती लड़की के बारे में जानेंगे जो एक हवाई जहाज के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर 32 मीटर की ऊंचाई से गिरकर भी जिंदा बच गई थी ! किस तरह से एक सुनसान जंगल में गिर कर उस लड़की ने अपने आप को संभाला और क्या और कैसे इन मुश्किल परिस्थितियों में खुद को जिंदा रख पाई चलिए वीडियो देखकर जानते हैं !
दोस्तों जुलियाना नाम की लड़की का जन्म 10 अक्टूबर 1954 को जर्मनी में हुआ उसने अपना बचपन एक आम लड़की की तरह व्यतीत किया वह स्कूल गई वहां कई दोस्त भी बनाए परंतु उसका ज्यादातर जीवन अपनी मां मारिया के साथ ही बिता उसकी मां एक बायोलॉजिस्ट अर्थात जीव विज्ञानिक थी जिन्हें अपने काम के लिए बहुत ज्यादा सफर करना पड़ता था जब जूलियाना 17 साल की हुई तो उसकी मां को अपने अनुसंधान के लिए पकोलपा जाना पड़ा !
पकोलपा पेरू देश के पूर्वी इलाके में अमेजॉन के जंगलों के पास है पकोलपा जाने वाले उस हवाई जहाज में 86 यात्री 6 जहाज चालकों , सह चालको का दल था ! खराब मौसम के चलते उड़ने में थोड़ा विलंब हो रहा था कुछ घंटों के इंतजार के बाद जब रनवे पर मौजूद धुंध छठ गई तो आखिरकार जहाज को उड़ान भरने की इजाजत दी गई ! 17 साल की जूलियाना और 47 साल की उसकी मां नहीं जानते थे
कि इस जहाज के सफ़र से उनका जीवन किस तरह स्वभाविक होने वाला है ! लगभग दोपहर के 12:00 बजे उनका जहाज आसमान में 6400 मीटर की ऊंचाई में उड़ रहा था पहले आधे घंटे तक जहाज में सब कुछ सामान्य तरीके से ही चल रहा था कहीं कोई गड़बड़ी के निशान नहीं थे किंतु जब जहाज ऐमेज़ॉन के जंगलों से होता हुआ एंडीज पर्वत के करीब पहुंचा तो जुलियाना ने महसूस किया कि आगे बेहद ही काले घने बादल फैले हुए हैं
वैसे उस इलाके में काले तूफानी बादलों का फैलाव कोई अनोखी बात नहीं थी अक्सर पर्वतीय क्षेत्रों में तूफानी बादल में फंस ही जाते हैं और ऐसे मौकों में काले बादलों से दूरी बनाने के लिए पायलट जहाज को अधिक ऊंचाई पर उड़ाने का निर्णय लेता है परंतु उस दिन या तो पायलट को अपने घर जाने की कुछ ज्यादा ही जल्दी थी या उसे अपने उड़ान के अनुभव पर जरूरत से ज्यादा भरोसा था !
शायद इसीलिए पायलट तूफानी बादलों के बीच से होते हुए हवाई जहाज उड़ा रहा था जहाज के कुछ किलोमीटर आगे बढ़ने पर बादलों की परत और भी ज्यादा घनी और काली हो गई थी , साथ ही बिजली अभी लगातार कड़कने लगी तूफान के थपेड़े इतने तेज थे
कि उसे पूरा जहाज कांपने लगा जिस कारण पायलट को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह जहाज की ऊंचाई बढ़ाने लगा ताकि बादलों से ऊपर साफ मौसम में आगे का सफर जारी रखा जा सके किंतु तभी अचानक एक बिजली सीधे जहाज के दाहिने इंजन पर गिरी जिस कारण इंजन पर एक जोरदार धमाका हुआ और इंजन धू धू करके जलने लगा !
आग कुछ समय में ही जहाज के विंग में फैल गई जिस वजह से जहाज का संतुलन खराब हो गया और पायलट का जहाज से नियंत्रण खोने लगा हालांकि पायलट ने जहाज को नियंत्रित करने में अपनी पूरी जान लगा दी , परंतु एक बिंग में आग लगने के कारण पूरे जहाज का वजन जहाज के दूसरे यानी बाएं बिंग पर आ गया जिस कारण ओवरलोडेड होने की वजह से बाएं बिंग में भी गर्म होकर आग लग गई
और देखते ही देखते पूरा जहाज आग की लपटों से घिर गया अगले ही कुछ पलों में जहाज हवा में गोते लगाते हुए जमीन की ओर गिरने लगा बल खाते हुए जहाज की टक्कर जल्द ही जमीन से हो गई जिस वजह से जहाज के पूरे परखच्चे उड़ गए और जहाज का मलबा बहुत इलाकों तक फैल गया जहाज पकोलपा एयरपोर्ट पर 12:47 तक पहुंचना था परंतु जब इंतजार करते करते 1 घंटे से भी ऊपर का समय हो गया और जहाज के पायलट की तरफ से कोई मैसेज नहीं आया तो तुरंत रिसर्च टीम उस गुम हुए जहाज को ढूंढने के लिए भेज दी गई !
अमेजॉन के जंगलों में हर जगह जहाज को तलाशा गया परंतु उस दिन मनो प्रकृति इस जहाज की दुश्मन ही बनी हुई थी क्योंकि बारिश बहुत तेज लगी हुई थी जिस कारण आग पूरी तरह से बुझ गई आग बुझने के कारण कोई भी धुआं आसमान में नहीं दिखाई दे रहा था ऐसे में अमेजॉन के घने जंगली क्षेत्र में जहाज को ढूंढना नामुमकिन ही था !
जंगल में पूरा का पूरा जहाज गायब हो चुका था अंदाजा लगाया गया कि शायद जहाज एंडीज पर्वत के ऊपर ही कहीं गुम हो गया लगातार कई दिनों की खोज के बाद भी जब जहाज नहीं मिला तो बचाव अभियान बंद कर दिया गया तो यह मान लिया गया कि जहाज के इस हादसे में कोई यात्री नहीं बचा होगा किंतु यह अंदाजा बिल्कुल गलत साबित हुआ जब जहाज क्रैश हो रहा था
तो नीचे गिरते वक्त हवा में ही जहाज का दाहिना विंग कुछ खिड़कियों समेत टूटते वक्त जहाज से अलग हो गया था जिस वजह से जुलियाना जहाज के जमीन से टकराने से पहले ही जहाज से नीचे गिर गई क्योंकि खराब मौसम के कारण जहाज बेहद ही ज्यादा हिल रहा था इसलिए जुलियाना ने अपनी सीट बेल्ट बांध रखी थी और वह सीट के साथ ही जहाज से नीचे गिरी !
जुलियाना ने बताया कि उसे याद है कि जहाज से गिरते समय उसकी मां कह रही थी कि अब उनकी जिंदगी का अंत आ गया है उसके बाद जुलियाना का सर किसी चीज से टकराया और वह बेहोश हो गई वह पूरा दिन पूरी रात लगातार बेहोश रही जब उसे होश आया तो उसने खुद को सीट से बंधा हुआ जंगल के बीचो बीच पाया ! उसके सर में बेहद तेज दर्द हो रहा था
और उसके पूरे शरीर में छोटे- बड़े घाव बने हुए थे , उसके शरीर में इतनी ताकत भी नहीं बची थी कि वह अपनी सीट बेल्ट तक खोल सके उस समय तक तो जुलियाना सिर्फ यही महसूस कर पा रही थी कि वह जिंदा है दरअसल जिस सीट पर जुलियाना बैठी थी वह सीट जहाज से उखाड़ने के बाद तूफानी तेज हवा होने के कारण हवा में ग्लाइड करती हुई
जमीन पर आई और जमीन पर टकराने से पहले वह सीट पेड़ों पर गिरी , पेड़ों की टहनियों ने सीट के गिरने की गति को और भी ज्यादा कम कर दिया जिस वजह से जुलियाना को एक नया जीवन मिल गया परंतु मुसीबतें अभी खत्म नहीं हुई थी जुलियाना के चारों ओर घना जंगल और खूंखार जंगली जानवर थे ! शाम होते-होते जूलियाना के शरीर पर थोड़ी जान आई
और उसने अपनी सीट बैलट खोली और उसने अपनी सीट बैलट खोल कर आगे चलने का फैसला किया उसके पास सिर्फ एक जूता और उसका टूटा हुआ चश्मा ही थे उसके कपड़े भी पेड़ों में उलझने के कारण फट गए थे और पूरे शरीर पर बहुत सारे घाव थे उसे पता ही नहीं चल रहा था कि उसे जाना कहां है उसे सिर्फ इतना ही पता था कि कोई भी उसकी मदद के लिए नहीं आएगा और उसे खुद ही अपनी जिंदगी को बचाना पड़ेगा ! कुछ देर बाद उसे जहाज से गिरा एक थैला मिला जिसमें कई सारी चॉकलेट थी यह चॉकलेट उसके जान बचाने के लिए एक अच्छा भोजन थी !
जुलियाना को जंगल में भटकते भटकते 4 दिन हो गए थे लेकिन उसे कोई रास्ता नहीं मिल पा रहा था उसे बिना चश्मे के अच्छे से दिखाई भी नहीं देता था जिस वजह से वह बहुत ही सावधानी से 1 डंडे की सहायता से आगे बढ़ रही थी उसके पैरों में भी कई घाव थे जिस कारण उसकी चाल बहुत ही धीमी थी अब तक उसकी सारी चॉकलेट खत्म हो गई थी लेकिन जंगल में बहुत सारे बैरी के पेड़ थे उन बैरी को खाकर जूलियाना खुद को जिंदा रखे हुए थी !