रविंद्र कौशिक, नाम तो सुना होगा। शक्ल बदलने में माहिर रविंदर कौशिक उर्फ़ नवी अहमद शाकिर, नहीं सुना तो चलो हम सुनाते हैं। श्री गंगानगर में हिन्दू पंडित के घर पैदा हुआ बालक। जिसका नाम रखा गया रविंदर। रविंदर नाटक एक्टिंग करने का बड़ा शौक़ीन था, उसको रूप बदलकर बहरूपिया बनने में महारत हासिल थी।
लेकिन इस होनहार कलाकार की किस्मत भी भगवान कुछ अलग ही लिख रखी थी। हुआ यूँ की रविंदर की एक्टिंग देखकर लखनऊ के एक सेठ ने रविंदर को लखनऊ बुलाया, जहां उन्होंने देश प्रेम का रोल अदा किया। उस किरदार में रविंदर भारतीय सैनिक बने थे जो चीन में पकड़े गए और एक कैदी के दर्द को एक्टिंग के जरिए बता रहे थे।
लोगों को ये एक्टिंग बिलकुल सच की तरह लग रही थी , उसी भीड़ में एक रॉ का अधिकारी ये नाटक देख रहा था। उसने रविंदर को कहा कि मेरे लिए काम करोगे , उसने रविंदर को काम नहीं बताया पर इतना कहा कि बहरूपिया बनकर मुसलमान की एक्टिंग करनी पड़ेगी।
रविंदर ने कहा – क्यों नहीं। रविंदर के हामी भरने के बाद रॉ द्वारा उसके गुप्त स्थान पर ले जाया गया, फिर रविंदर की दो साल तक ट्रेनिंग चली और यह भी देखा गया कि रविंदर के अंदर देश प्रेम और धर्म के प्रति कितनी आस्था है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि मुस्लिम देश में कोई एजेंट पकड़ा जाए तो वो किस हद तक मुंह खोल सकता है। रविंदर हर परीक्षा में पास हुआ , रविंदर ने रॉ के अधिकारीयों को खुश कर दिया था।
आखिर में रविंदर के इम्तिहान का दिन आ गया, रॉ के एक बड़े अधिकारी ने रविंदर को बोला कि पकिस्तान जाओगे। रविंदर ने कहा , हाँ आपका जैसा आदेश। रॉ के एजेंट ने कहा कि तुम जासूस बनकर पाकिस्तान जाओगे, “मर गए तो तुम जानो और तुम्हारा काम , पकड़े गए तो हम आपके हैं कौन वाली बात होगी ”
मतलब हम तुम्हे पहचानेगे नहीं। रविंदर ने कहा मुझे खुद पर भरोसा है, रूप बदलने की कला को आज तक कोई पकड़ नहीं पाया। इतना ही रॉ के अधिकारीयों को सुनना था। फिर रविंदर का बकायदा खतना करवाया गया। उसे दिन में पांच बार मुस्लिम की तरह नमाज पढ़ने की ट्रेनिंग दी गई। उसको पूरा मुसलमान बनाया गया, उसको उर्दू सिखाई गई , उसको कुछ दिन मुसलमानों के साथ रखा गया।
उसको कहा गया कि इसके बारे में किसी को मत बताना , यहाँ तक कि अपने घर में अपनी माँ को भी मत बताना और तुम्हारे घर में काम के बदले पैसे हम पहुंचा दिया करेंगे। तो रविंदर ने अपने घर पर यही बताया कि उसकी दुबई में नौकरी लग गई है और वो दुबई में रहकर ही कमाएगा और उनके पास पैसे भेजा करेगा।
परिवार ने राजी – ख़ुशी उसे विदा कर दिया , फिर उनको भारतीय सेना द्वारा सीमा पार करवाके पाकिस्तान भेजा गया। जहाँ अब रविंदर को अपनी पूरी जिंदगी बितानी थी। रविंदर ने पाकिस्तान जाकर सबसे पहले अपना शिनाख्ती कार्ड बनवाया और कराची के एक collage में LLB की डिग्री ले ली।
फिर एक दिन अखबार में रविंदर ने पाकिस्तानी सेना इस्तिहार देखा। रविंदर ने मौके का फायदा उठाते हुए फॉर्म भर दिया और भगवान की दया से वो उसमें सफल हो गए और वो पाक आर्मी में एक सिपाही बन गए थे।
कहा जाता है कि रविंदर उर्फ़ नवी अहमद शाकिर ने पाकिस्तानी सेना को अपने काम से इतना खुश कर दिया था कि सेना में वो मेजर के पद तक पहुंच गए थे। पाकिस्तान में मेजर का पद काफी ओहदा रखता है और अंत में उन्होंने अपने सीनियर अधिकारी चकिवर शेख की बेटी फातिमा से शादी कर ली।
फातिमा से रविंदर दिल से प्यार करते थे , पर रविंदर ने फातिमा को कभी नहीं बताया कि वो उसके देश की जासूसी कर रहा है और वो भारतीय हिन्दू है और मुसलमान बनकर उससे शादी की। शादी करना रॉ में बेहद जरूरी है क्योंकि कभी किसी को यह शक नहीं होगा कि ये व्यक्ति विदेशी है , क्योंकि शादी के बाद उसके रिश्तेदार पाकिस्तान में भी हो जाएंगे तो ऐसा ही रविंदर ने भी किया।
वो भारत को पाकिस्तान से कई महत्वपूर्ण सूचनाएं भेज रहा था , इधर रॉ के अधिकारी खुश और पकिस्तान में पाकिस्तानी सेना उसके काम से खुश। सब बढ़िया चल रहा था, पर कांग्रेस की सरकार से एक बहुत बड़ी चूक हो गयी। हुआ यूँ कि कांग्रेस की सरकार चाहती थी की रविंदर की सहायता के लिए एक और आदमी पाकिस्तान भेजा जाये।
रविंदर से इस बारे में पूछा गया तो रविंदर ने कहा ” मुझे किसी की जरूरत नहीं मैं अकेला ही काम कर लूंगा ” और कांग्रेस सरकार के दवाब में रविंदर को हामी भरनी पड़ी। फिर एक और रॉ के एजेंट को तैयार करके पाकिस्तान रवाना किया गया। उसने भारत बॉर्डर तो पार कर लिया। पर रुक गया एक होटल पर चाय पीने।
जहाँ कुछ पाकिस्तानी सैनिक पहले से ही बैठे थे , उन सैनिकों को इस एजेंट की बोल चाल से शक हो गया। सैनिकों ने उस एजेंट को पकड़ लिया और पूछा कि कौन हो तुम ? उस मुर्ख एजेंट ने बोला भारत से आया हूँ मेरे दोस्त से मिलने पर समय ही खराब था उनमे से एक ने कहा बुला कौन है तेरा दोस्त नहीं तो गोली मार दूंगा।
इतना सुनते ही वो रॉ का एजेंट शुरू हो गया और बोलै कि मैं रॉ का एजेंट हूँ , यहाँ पर मौजूद पहले से ही रॉ के एजेंट की मदद करने आया हूँ। जो आपकी सेना में मेजर है , जिसने हिन्दू होते हुए भी मुस्लिम लड़की से शादी की, ये सब उसने बोल दिया।
पाकिस्तानी सैनिक एक दम हक्का – बक्का रह गए सेना के एक सैनिक ने कहा – तुम उससे कहाँ पर मिलने वाले थे , उससे उसी प्लान के मुताबिक मिलो। पर उसे शक नहीं होना चाहिए। प्लान के मुताबिक सुबह उसने रविंदर को जिन्ना उद्यान में बुलाया, रविंदर समय पर पहुंच गए।
दोनों ने हाथ मिलाया।, पहले से टाक में बैठे पाक सैनिकों ने रविंदर को दबोच लिया। कहा जाता है कि रविंदर को उस एजेंट पर इतना गुस्सा आया कि रविंदर ने उसको वहीँ पीटना शुरू कर दिया। खैर रविंदर को डाल दिया पाकिस्तान की अंडरग्राउंड जेल में जहाँ न सूरज की रौशनी थी न चाँद की ठंडक, थी तो बस गुमनामी।
कहते हैं 12 दिनों तक रविंदर उस बैरक में बिना खाने के रखा। रविंदर के लिए जेल की बैरक के ऊपर से पानी डाला जाता था। उतना ही जीना की वो जीवित रह सके। रविंदर जेल में चाट – चाट कर पानी पीते थे। 12 दिन बाद रविंदर को अदालत में पेश किया गया, जहाँ उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई।
पर पाकिस्तान की कुछ मानवाधिकार वाली संस्थाओं ने इस फांसी को उम्र कैद में तब्दील करवा दिया। रविंदर को 12 दिन तक उस गुप्त बंद कमरे में रखने से रविंदर को हृदय की बिमारी हो गई थी। जिसका न तो पाकिस्तान की जेल ने इलाज करवाया, न ही उन्होंने इसका हाल जानना चाहा ,
रविंदर को अब रोज सुबह से शाम खाने में पिटाई भयंकर पिटाई के अलावा कुछ नहीं मिलता। इस बीच रविंदर अपने घर पर खत भी लिखा करता था जो आज भी उसके घर पर मौजूद हैं जिसमें रविंदर लिखा करता था कि मैं कोई दुबई – बुबई कमाने नहीं गया , मैं जासूसी करने पाकिस्तान गया।
जहाँ मुझे भारत सरकार की गलती के कारण धर लिया गया। मैं भारत सरकार के लिए इस पराये मुल्क के लिए आया। मैंने उनको जानकारियां दी, मैंने उनको सन 71 के युद्ध को जीतने में बहुत सहायता की।इंदिरा गांधी ने मुझे प्लेग टाइगर की उपाधि दी, अब मुझे टीवी और हृदय रोग हो गया है,
जिसका इलाज इस मुल्क में कहीं नहीं है। मुझे बचा लो मैं भारत की जमीन पर मरना चाहता हूँ। रविंदर के पिता बार बार भारत के नेताओं से मिलते रहे , नेताओं ने इतना ही कहा कि उसने एग्रीमेंट साइन किया है कि पकड़ा गया
तो उसकी कोई सहायता नहीं होगी और दुनिया में हम भारत का नाम खराब नहीं करना चाहते और अंत में 2001 में पाकिस्तानी टॉर्चर सहते – सहते रविंदर ने पाकिस्तान की जेल में प्राण त्याग दिए। भारत सरकार ने रविंदर का शव लेने से भी इंकार कर दिया।
पाकिस्तान की नीचता भी गजब है उन लोगों ने रविंदर का शव कचरे के साथ जला दिया। कहा जाता है कि रविंदर की मुस्लिम पत्नी भी उससे मिलने एक बार जेल आई थी , उसने बस यही पूछा था कि क्यों किया मेरे साथ ऐसा ? रविंदर का जवाब था मेरे देश के लिए , फिर वो उससे मिलने कभी नहीं आई। रविंदर और उस मुस्लिम महिला का एक बेटा भी है जो पाकिस्तान में ही रहता है।
रविंदर इतना महान रूप बदलू था कि वो पाकिस्तानी फ़ौज में मेजर रहते हुए पांच बार अपने परिवार से मिलने आया और ऐसे छुटियाँ बिताई जैसे कोई भारतीय फौजी अपने घर पर छुटियाँ बिताने आता हो। पर कभी पाकिस्तान को उस पर शक नहीं हुआ, बस कांग्रेस सरकार की एक छोटी सी गलती रविंदर को ले डूबी।