5वी पीढ़ी का फाइटर जैट F35, F16, F31, बनाने वाली लॉक हिट मार्टिन से लेकर रफेल जैट बनाने वाली दस्सौल्ट एविएशन रसिया की फेकर मशीन बिल्डिंग डिजाइन ब्यूरो S 400 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम को बनाती है ये सभी और दुनिया के जितने भी बड़े बड़े डिफेन्स वेपन और मैन्युफेक्चरर है चाहे वे सबमरीन बनाते है
या नेवल शिप बनाते हो इस तरह की बड़ी बड़ी कम्पनियां छोटी छोटी कम्पनियों से स्पेयर पार्ट, हथियारों में फिट किये जाने वाले कंपोनेट खरीदते है. इसके बाद उसे अपनी असेम्बली लाइन में ले जाते है और फिर उन्हें असेम्बल करते है. जिसके बाद एक वेपन पूरा तैयार होता है.
ऐसा नही है कि ये सभी स्पेयर पार्टस और क्म्पोनेट बड़े बड़े देश अपने देश से ही खरीदते है बल्कि ये स्पेयर पार्ट्स दुनियाभर की किसी भी कम्पनियों से खरीदते जाते है जैसे कि हाल ही में लॉक हिट मार्टिन और टाटा के ज्वाइंट वेंचर्स ने F16 के मेड इन इण्डिया के तहत विंग्स मेन्युफेक्चर किये थे. जिसके बाद भविष्य में बहुत ही जल्द अमेरिका में मेन्युफेक्चर होने वाले F16 के विंग्स भारत से ही अमेरिका जायेंगे.
भारत के अलावा नाटो सदस्यीय देशो के कम्पनी बड़े बड़े अमेरिकन डिफेन्स मेन्युफेक्चरर को स्पेयर पार्ट्स और क्म्पोनेट्स सप्लाई करते है. इसी तरह से रूस के S 400 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम में फिट होने वाले कई सारे इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स चाइनीज कम्पनी रसिया को सप्लाई करती है. रूस ये पार्ट चीन से खरीदता है और फिर रूस में इन्हें S 400 मिसाइल में असेम्बल किया जाता है.
भारत की बात करे तो भारत में डिफेन्स सेक्टर अभी उभर रहा है और कई सारी अभी MSME यानी माइक्रोस्माल एंड मीडियम इन्टरप्राइजज के स्केल पर ही है. कुछ अभी हाल ही में रजिस्टर हुई है. जोकि इनिशियल फेजिज में है. ऐसे में जो डिफेन्स क्म्पोनेट की ग्लोबल सप्लाई चैन है उसमे भारत अभी नया प्लयेर है.
पूरी तरह फिनिश्ड और एडवांस हाईटैक वेपन जो अमेरिका, रूस और फ़्रांस से कम्पीट करे उनको बनाने में भारतीय कम्पनियों को महारथ हासिल करने में काफी रिसर्च और देवेलोप्मेंट की जरूरत है. जिसमे भारत को कई साल लगने वाले है.
लेकिन नया प्लेयर होने के बावजूद भी मोदी सरकार डिप्लोमेटिक लेवल पर हर सम्भव कोशिश कर रही है कि भारत की डिफेन्स सेक्टर की कम्पनी MSME को भी रसिया और अमेरिका की बड़ी बड़ी डिफेन्स फर्म को स्पेयर पार्ट्स सप्लाई करने का मौका मिले
और रूस के राष्ट्रपति पुतिन जब कुछ दिन पहले भारत के दौरे पर आये थे. भारत ने उनके सामने यही मांग रखी थी जिसपर रूस की तरफ से सकरात्मक प्रतिकिया आई है.