भारत के अंदर लिथियम और सेल्स बैटरी प्रोडक्शन को और ज्यादा बढाने के लिए भारत सरकार ने 2 बड़े कदम उठाये है इन दोनों कदमो के बाद भारत में बैटरी और सेल्स मेनिफेचरिंग और भी आगे जाने वाली है. सरकार ने पहला कदम ये उठाया है कि विदेशो में जो लिथियम की खदान्ने है
उनपर अधिक ग्रहण करने का फैसला लिया है लेकिन दुनिया की टॉप लिथियम प्रोडुस करने वाले देश है उनमे ऑस्ट्रेलिया, चीन एर्जनटीना जैसे देश शामिल है. चीन इन सबसे पहले मार्किट पर कब्जा बनाये बैठा हुआ है हालांकि इनके ऐसे कुछ हिस्से है जहाँ चीन अभी तक नही पहुँच पाया है
और अब भारत ने उन्ही हिस्सों को एक्वायर करने का फैसला किया है. भारत ने जो दूसरा कदम उठाया है वो भारत के अंदर जहाँ जहाँ भी लिथियम सोर्सिज मिले है वहां पर अच्छे से उनकी जांच की जाए और भारत के अंदर कहाँ कहाँ पर लिथियम की खाने है उनका भी पता लगाया जाए.
वहां से फिर लिथियम को बाहर निकाला जाना चाहिए इस तरह की सभी जानकारी भारत के यूनियन मिनिस्टर ऑफ़ पॉवर RK सिंह ने शेयर की है. इसी के साथ ये भी जानकारी दी गयी है कि भारत के अंदर PLI स्कीम के तहत जो ACC लिथियम आयन बैटरी को मैन्युफैक्चरिंग किया जा रहा है
उसके लिए भारत के साथ साथ अब विदेशी कम्पनियों को भी हिस्सा लेना चाहिए और भारत के अंदर प्रोड्क्शन को अगले लेवल तक ले जाना चाहिए. जिस तरीके से भारत इलेक्ट्रिक व्हीकल या फिर EV इंडस्ट्री पर स्विच हो रहा है 2030 के अंदर भारत के अंदर 500 गेगावाट तक की रिनेवल क्षमता को इनस्टॉल कर लिया जायेगा जिसमे 120 गेगावाट की बैटरी की फेसिलिटी होना कम्पलसरी है.
ताकि हम जेनरेट की गयी एनर्जी को स्टोर कर पाए और उसको रात के समय में या फिर तापमान बदलने के समय हम आसानी से उसका इस्तेमाल कर पाएं. कई कम्पनियों को चीन की रणनीति का अंदाजा होने लगा है
जिसके बाद कई देशो ने लिथियम आयन वाली बैटरियो की जगह नेक्स्ट जेनेरेशन बैटरियां विकसित करने की तैयारियां शुरू कर दी है. इनमे पैनासोनिक, टेस्ला, टोयोटा सबसे आगे है. भारत ने भी टेस्ला ने फेक्ट्री लगाने में अपनी दिलचस्पी दिखाई है.
जबकि चीन से आने वाली आयन बैटरियो की क्वालिटी इतनी खराब है कि भारत अगर इनका प्रयोग करता है तो इसका भारत के इलेक्ट्रिक प्रोग्राम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. इस समय लगातार बैटरी टेक्नोलॉजी बदलती जा रही है जिसके चलते चीन में दोयम दर्जे के बैटरी निर्माता भारत में इस तरह की घटिया बैटरी बेच रहे है.