दोस्तों ब्रांडेड कार के बारे में तो आपने बहुत सुना होगा कभी फरारी तो कभी लैंबोर्गिनी जहां यह कार अपने स्पोर्ट्स लुक के लिए फेमस है वही यह कार लग्जरी के लिए भी जानी जाती है हर किसी की चाहत होती है कि उनके गैरेज में एक लग्जरी कार जरूर शामिल हो आज हम आपको इस वीडियो में एक ऐसी ही कार के बारे में बताने वाले हैं जो शाही और लग्जरी होने के साथ-साथ टॉप क्लास में से एक है
और वह है रोल्स रॉयस लेकिन आखिर उसमें ऐसा क्या है जो उसे रॉयल बनाती है ? इसका इतिहास तो काफी पुराना है लेकिन आज हम आपको इसकी हिस्ट्री नहीं बल्कि यह कैसे बनाई जाती है उसके बारे में बताएंगे तो चलिए और देर न करते हुए वीडियो को स्टार्ट करते हैं ! कैसे बनती है दुनिया की सबसे महंगी कार ?
दोस्तों वैसे तो दुनिया में करोड़ों कार ब्रांड्स है जिनकी कार काफी अच्छी होती है लेकिन जब फेम रोल्स रॉयस को मिला है वह शायद ही किसी और को मिला होगा इसे खरीदना , इसमें बैठना हर किसी का सपना होता है भारत में भी आपको यह लग्जरी रोल्स रॉयस चुनिंदा लोगों के पास ही देखने को मिलेगी इस कार की शुरुआती कीमत ही करोड़ों में होती है
हालांकि जो इस कार में खूबियां होती है इसे जिस क्वालिटी और ध्यान में रखकर बनाया जाता है उसकी वजह से लोग उसे करोड़ों रुपए में भी खरीदने को तैयार है ! रोल्स रॉयस की हर एक कार को वहां के कर्मचारी खुद अपने हाथों से बनाते हैं और यही वजह है कि एक रोल्स रॉयस को बनाने के लिए लगभग 6 महीने तक का समय लग जाता है
इस लग्जरी कार के कुछ भारी पार्ट को मशीनों की सहायता से बनाया जाता है बाकी की यह पूरी की पूरी कार हाथों से बन कर तैयार होती है ! अगर आप कभी रोल्स रॉयस फैक्ट्री में विजिट करेंगे तो आपको उसमें एंट्री करते ही लगेगा जैसे मानो आप वर्ल्ड क्लास कार की फैक्ट्री में आ गए हो क्योंकि एक कार फैक्ट्री में बाकी फैक्ट्रियों की तरह बहुत ज्यादा शोर शराबा नहीं होता है
क्योंकि इस कार को बनाने का काम ज्यादातर हाथों से और धीरे-धीरे किया जाता है वहीं दूसरी कार कंपनी एक या 2 दिन में तैयार कर लेती है क्योंकि वहां काम को बहुत तेजी से कर लिया जाता है और यह तो हम जानते ही हैं कि जब काम को करने की तेजी हो तो काम कितना हड़बड़ाहट के साथ किया जाता है
लेकिन वही इस रोल्स रॉयस की एक कार को बनाने के लिए एक या दो नहीं बल्कि 6 महीनों का समय लग जाता है यही वजह है कि यहां पर हर काम को बहुत ही सुकून और परफेक्शन के साथ किया जाता है !
कार बनाने वाले एक्सपर्ट्स और उनकी टीम को आजादी होती है कि वह अपने अकॉर्डिंग टाइम लेकर कार को अच्छे से अच्छे बनाएं वही शायद आपको पता हो कि रोल्स रॉयस की हर एक कार अपने आप में यूनिक होती है क्योंकि कंपनी किसी भी कार के आर्डर के टाइम उसके मालिक से उसकी पसंद जानती है कंपनी का मालिक कार को पसंद करवाते हुए लगभग 45000 कलर ऑफर करवाती है
लेकिन उसके बाद भी जब कस्टमर के दिमाग में कुछ नया और अलग कलर हो तो कंपनी कार को उस कलर में भी बना देती है बस शर्त यह होती है कि वह कलर अच्छा होना चाहिए उसमें रोल्स रॉयस कार की पिच पर कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए इसके बाद पूरी दुनिया में कोई और उस कलर की रोल्स रॉयस तब तक नहीं खरीद सकता जब तक कि कंपनी आपके पास से परमिशन नहीं ले लेती है
रान कर देने वाली बात तो यह भी है कि रोल्स रॉयस कार में डिटेल में पेंट करने का काम सिर्फ एक ही हुनरवाज इंसान करता है बाकी का इसका नॉरमल पेंट 7 लेयर में कोटिंग करके किया जाता है और अगर कस्टमर इससे ज्यादा कोटिंग करवाना चाहता है तो वह भी हो जाएगी !
अब तक आप जान चुके होंगे कि इस कार के ब्रांड कस्टमर बेहद अमीर लोग ही है जैसे सऊदी और दुबई के प्रिंस या बड़ी-बड़ी कंपनियों के मालिक , सीईओ और सेलिब्रिटीज इसलिए इतनी वेरिएशन होने के बाद भी अमीर लोग अपना कुछ यूनिक लेकर ही जाते हैं
जैसे की कार पर हीरे जड़वाना अब यह काम कोई आम इंसान या कोई भी कार कंपनी नहीं कर सकती और बात जब रोल्स रॉयस की चल रही हो तो कुछ भी पॉसिबल हो सकता है यह कार कंपनी अपने कस्टमर की हर बात मानने को तैयार रहती है !
अब इसके इंटीरियर की बात करें तो इस कार का इंटीरियर भी बेहद यूनिक होता है इस कार के अंदर जिस तरह के लेदर का इस्तेमाल किया जाता है उसके लिए कंपनी नहीं चाहती है कि किसी भी तरह का कोई दाग या धब्बा रहे या फिर कोई शिकन आए इसीलिए इसके लेदर यूरोपियन कंट्री के एनिमल से ही लिए जाते हैं
क्योंकि वहां पर मच्छर काफी कम होते हैं इसलिए वहां के एनिमल की स्किन पर मच्छर काटने वाले निशान भी काफी कम होते हैं इस लेदर को लाने के बाद इसको जब कट करना होता है तो वह काम भी कुछ चुनिंदा एक्सपर्ट अपने हाथों से करते हैं
एक्सपर्ट 4 से 5 घंटे सिर्फ लेदर को पॉलिश करने में ही लगा देते हैं लेदर का काम पूरा होने में और उसे हाथों से सिलने में लगभग एक से दो हफ्तों तक का समय लग जाता है ! कंपनी कस्टमर के कहने पर खरिया , लॉस ट्रिक्स या फिर किसी और जानवर की खाल का भी इस्तेमाल कर सकती है !
रोल्स रॉयस कार के डैशबोर्ड और बाकी जगह लकड़ी का भी इस्तेमाल किया जाता है जिसमें अलग-अलग पेड़ों की लकड़ी नहीं बल्कि एक ही पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है ताकि कार में थोड़ा सा भी डिफरेंस ना दिखाई दे ! यहां तक कि जिन लकड़ियों का इस्तेमाल इन काम के लिए किया जाता है
वह कोई मामूली लकड़ी नहीं होती बल्कि बादाम के पेड़ की या फिर किसी बहुत ही अच्छी किस्म की लकड़ी का इस्तेमाल होता है ! अगर रोल्स रॉयस के कस्टमर चाहे तो यह भी अपनी पसंद की लकड़ी बता सकते हैं ! तो दोस्तों यह तो रही इसके पेंट और इंटीरियर की बात लेकिन इस कार की बॉडी पर जो पटियाँ बनी होती है
उन्हें भी हाथों से ही बनाया जाता है और मार्क कोट दुनिया के अकेले ऐसे शख्स है जिनके कंधों पर यह जिम्मेदारी है ! इस पेंटिंग के दौरान उनके पास गलती करने का कोई भी मौका नहीं होता है क्योंकि इसे हाथ से करना होता है और अगर उनसे गलती हुई तो पूरी कार को फिर से पेंट करना पड़ेगा इसके साथ ही इस कार का एक फीचर यह भी है
कि इसके रूपल पर जो एलईडी लाइट लगाई जाती है वह भी काफी यूनिक होती है इसके लिए कंपनी कार की छत पर छोटे छोटे होल करके उन्हें फाइबर ऑप्टिक्स लगाते हैं ! एक रोल्स रॉयस में लगभग 1000 होल्स होते हैं हालांकि कस्टमर की डिमांड पर यह कम ज्यादा हो सकते हैं
इस कार को लगभग 140 किलोग्राम के आसपास साउंड प्रूफिंग फीचर होता है जो इसे अंदर से काफी साइलेंट भी बनाता है ऐसे ही रोल्स रॉयस के टायर को भी बनाया जाता है जो बाकी टायरों से काफी साइलेंट होते हैं ! इन टायरों के बीच में जो रोल्स रॉयस का लोगो लगा होता है
वह हमेशा सीधा रहता है यानी कि कभी भी टायर के साथ घूमता नहीं है इसके साथ ही आपको रोल्स रॉयस के बोनट पर जो उड़ते हुए इंसानों का लोगो दिखता है उसे spirit of ecstasy कहा जाता है इसे सन् 1911 में कमीशन किया गया था आज के समय में तो यह लोगो प्रयोग किया जाता है उससे रिमोट के माध्यम से अंदर किया जाता है
इतना ही नहीं किसी भी दुर्घटना के समय यह लोगो अपने आप ही फ्रंट ग्रिल के अंदर चला जाता है ऐसा कंपनी इस लोगो के समान में करती है ! दोस्तों आपका इस कार के बारे में क्या कहना है साथ ही क्या आप भी इस कार के दीवाने हैं , क्या आप भी इसे अपने गैराज में देखना चाहते हैं हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं !