रसिया के साथ भारत की AK 203 एसोल्ट रायफल की डील को मोदी सरकार ने फाइनेंस क्लियरेंस दे दिया है. जब व्लादिमीर पुतीन भारत की यात्रा करेंगे उस दौरान दोनों देश इस डील को साइन करने वाले है. भारत और रूस के बीच AK 203 एसोल्ट रायफल की डील को लेकर सभी मतभेद पुरे हो चुके है और अब उत्तर प्रदेश के अमेठी में 5 लाख से ज्यादा AK 203 एसोल्ट रायफल बनाई जाएगी
और ये रायफल दुसरे देशो को भी बेचीं जाएगी. इस डील पर कुछ लोगो का कहना है कि ये डील केवल रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को खुश करने के लिए साइन हो रही है. अगर ऐसा नही है तो ये डील आज से कई साल पहले साइन हो जाती.
जबकि हकीकत में ऐसा कुछ नही है आज भी हमारे देश के सैनिको को AK 203 एसोल्ट रायफल की बहुत जरूरत है और इस बात में कोई सच्चाई नही है कि जिन लोगो को लगता है भारत इस डील के लिए पूरी तरह से रूस के सामने झुक गया है.
रूस के राष्ट्रपति ने भारत दौरे से पहले डील को लेकर भारत की सभी शर्ते मान ली है इसके साथ ही आपको जानकारी दें रहे है कि AK 203 एसोल्ट रायफल के साथ एक अन्य डील भी थी जिसको लेकर रूस भारत को काफी ज्यादा दबाब बना रहा था.
हालांकि ये डील भारत के हित में नही थी और रूस की लाख कोशिश करने के बाद भी व्लादिमीर पुतीन के भारत आने के पर भी इस डील को स्वीकार नही किया था. बीते समय में ऐसी कई खबरे सामने आई थी जिसमे लिखा गया था कि भारत रूस के साथ हेलिकॉप्टर डील को लेकर पीछे हट गया है.
रूस के बार बार कहने के बाद भी भारत ने इस डील को करने से मना कर दिया है. ये डील पिछले 10 सालो से दोनों देशो के बीच लटकी पड़ी थी. क्योंकि डील लेट होने की वजह ये थी कि कोर्शल रोटरस वाले हेलिकॉप्टर की मेंटेनेंस कॉस्ट काफी ज्यादा होती है और भारत के कई अधिकारी इस डील को बैक नही कर रहे थे.
भारत चाहता था कि रूस इस हेलिकॉप्टर में ज्यादा से ज्यादा इंडियन पार्ट्स का इस्तेमाल करे जबकि कुछ कारणों की वजह से दोनों देशो के बीच सहमती नही बन पाई और फिर भारत ने एरोनॉटिक्स लिमिटड ने अपना इनडीजीनियस फ्लाईट युदिलीती हेलिकॉप्टर भी बनाकर तैयार कर दिया. जिसने अबतक काफी ज्यादा फील्ड टेस्ट [पार कर दिए है.
भारत सरकार ने फैसला लिया है आने वाले कुछ सालो में 400 से ज्यादा लाईट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर की जरूरत पड़ेगी. और फिर भारत रूस से कुछ लिमिटेड नम्बर में ही कमाऊ KA 226 हेलिकॉप्टर खरीदने वाला है. क्योंकि भारतीय सेना को अभी लाइट यूटिलिटी बेस वाले हेलिकॉप्टर की जरूरत है और ये डिमांड केवल रूस ही पूरी कर सकता है.